ममता के जादुई स्पर्श से किराए का दर्द बाँट लेती है। ममता के जादुई स्पर्श से किराए का दर्द बाँट लेती है।
कईं बार जी करता है अपनी खुली छत की जवानी को'Boundary-Wall' की लगाम से बाँध दूँ कईं बार जी करता है अपनी खुली छत की जवानी को'Boundary-Wall' की लगाम से बाँध दूँ
याद आता है गांव पीपल के पेड़ बरगद की छांव। याद आता है गांव पीपल के पेड़ बरगद की छांव।
मिट्टी और नदी से इश्क की कविता भूल न जाना भीड़ से सिकुड़ते आसमान में। मिट्टी और नदी से इश्क की कविता भूल न जाना भीड़ से सिकुड़ते आसमान में।
सवारूँ में खुद को रोज़ नए लिबास में वो सँवर कर निकले रोज़ नए लिहाफ़ में। सवारूँ में खुद को रोज़ नए लिबास में वो सँवर कर निकले रोज़ नए लिहाफ़ में।
मकर संक्रांति में सबने पुण्य ही माँगा। मकर संक्रांति में सबने पुण्य ही माँगा।